¿Cuáles son algunos poemas sobre la naturaleza en hindi?

Hay tantos poetas en hindi que han escrito sobre la naturaleza. Pero además de todo, está Sumitranandan Pant. Es conocido como ” Prakriti ka sukumar kavi “, que se traduce como ” poeta suave de la naturaleza “. Puede considerarlo equivalente a William Wordsworth, quien escribió poemas sobre la naturaleza usando un personaje ficticio Lucy y conocido como Poeta de la naturaleza.

Comienza a leer Pant. Te enamorarás de su escritura. Aquí hay una muestra ::

ग्राम श्री / सुमित्रानंदन पंत

फैली खेतों में दूर तलक
मख़मल की कोमल हरियाली,
लिपटीं जिससे रवि की किरणें
चाँदी की सी उजली ​​जाली!
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भू तल पर झुका हुआ
नभ का चिर निर्मल नील फलक।

रोमांचित-सी लगती वसुधा
आयी जौ गेहूँ में बाली,
अरहर सनई की सोने की
किंकिणियाँ हैं शोभाशाली।
उड़ती भीनी तैलाक्त गन्ध,
फूली सरसों पीली-पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही
नीलम की कलि, तीसी नीली।

रँग रँग के फूलों में रिलमिल
हँस रही संखिया मटर खड़ी।
मख़मली पेटियों सी लटकीं
छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी।
फिरती हैं रँग रँग की तितली
रंग रंग के फूलों पर सुन्दर,
फूले फिरते हों फूल स्वयं
उड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर।

अब रजत-स्वर्ण मंजरियों से
लद गईं आम्र तरु की डाली।
झर रहे ढाँक, पीपल के दल,
हो उठी कोकिला मतवाली।
महके कटहल, मुकुलित जामुन,
जंगल में झरबेरी झूली।
फूले आड़ू, नीबू, दाड़िम,
आलू, गोभी, बैंगन, मूली।

पीले मीठे अमरूदों में
अब लाल लाल चित्तियाँ पड़ीं,
पक गये सुनहले मधुर बेर,
अँवली से तरु की डाल जड़ीं।
लहलह पालक, महमह धनिया,
लौकी औ ‘सेम फली, फैलीं,
मख़मली टमाटर हुए लाल,
मिरचों की बड़ी हरी थैली।

गंजी को मार गया पाला,
अरहर के फूलों को झुलसा,
हाँका करती दिन भर बन्दर
अब मालिन की लड़की तुलसा।
बालाएँ गजरा काट-काट,
कुछ कह गुपचुप हँसतीं किन किन,
चाँदी की सी घंटियाँ तरल
बजती रहतीं रह रह खिन खिन।

छायातप के हिलकोरों में
चौड़ी हरीतिमा लहराती,
ईखों के खेतों पर सुफ़ेद
काँसों की झंड़ी फहराती।
ऊँची अरहर में लुका-छिपी
खेलतीं युवतियाँ मदमाती,
चुंबन पा प्रेमी युवकों के
श्रम से श्लथ जीवन बहलातीं।

बगिया के छोटे पेड़ों पर
सुन्दर लगते छोटे छाजन,
सुंदर, गेहूँ की बालों पर
मोती के दानों-से हिमकन।
प्रात: ओझल हो जाता जग,
भू पर आता ज्यों उतर गगन,
सुंदर लगते फिर कुहरे से
उठते-से खेत, बाग़, गृह, वन।

बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपत छाई
तट पर तरबूज़ों की खेती।
अँगुली की कंघी से बगुले
कलँगी सँवारते हैं कोई,
तिरते जल में सुरख़ाब, पुलिन पर
मगरौठी रहती सोई।

डुबकियाँ लगाते सामुद्रिक,
धोतीं पीली चोंचें धोबिन,
उड़ अबालील, टिटहरी, बया,
चाहा चुगते कर्दम, कृमि, तृन।
नीले नभ में पीलों के दल
आतप में धीरे मँडराते,
रह रह काले, भूरे, सुफ़ेद
पंखों में रँग आते जाते।

लटके तरुओं पर विहग नीड़
वनचर लड़कों को हुए ज्ञात,
रेखा-छवि विरल टहनियों की
ठूँठे तरुओं के नग्न गात।
आँगन में दौड़ रहे पत्ते,
घूमती भँवर सी शिशिर वात।
बदली छँटने पर लगती प्रिय
ऋतुमती धरित्री सद्य स्नात।

हँसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोये,
भीगी अँधियाली में निशि की
तारक स्वप्नों में-से-खोये, –
मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम–
जिस पर नीलम नभ आच्छादन, –
निरुपम हिमान्त में स्निग्ध शांत
निज शोभा से हरता जन मन!

रचनाकाल: फ़रवरी ‘४०

Siempre ha habido escritores que trataron de expresar la belleza de la naturaleza a través de su poesía, ya que la poesía no es en sí misma una belleza y una belleza que expresa otra belleza es una combinación encantadora de leer.
Diría que necesita un ojo para alabar los poemas sobre la naturaleza, ya que son palabras muy simples pero muy profundas.
Así que hay muchos poemas en hindi sobre la naturaleza, consulte el siguiente enlace para ver algunos de ellos.
poemas hindi

Por cierto, personalmente me gusta la ” prohibición de Megh aaye bade que ke sawar ke ” por Sarveshwar Dayal Saxena.

No termina aquí, hay muchos otros, estos son solo algunos con los que estoy familiarizado.
Explore más, lea más.

रंग

सुबह उठ कर देखा तो आकाश
लाल, पीले, सिंदूरी और गेरूए रंगों से रंग गया था

मजा आ गया, ‘आकाश हिंदू हो गया है’
पड़ोसी ने चिल्लाकर कहा
‘अभी तो और मजा आएगा’ मैंने कहा
बारिश आने दीजिए
सारी धरती मुसलमान हो जाएगी।

– Naresh Saxena