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¡La VIDA es como volar una cometa! El | Patang | La cometa | El poema hindi más filosófico!
Esta poesía relata la historia de la cometa que fluye contra el viento con la vida de una persona normal que pasa toda su vida trabajando, manejando a su familia.
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¡La VIDA es como volar una cometa! El | Patang | La cometa | Un poema filosófico hindi
#HindiPoetry
पतंग
पतंग भगवान से अपने भावों को पेश करती है-
मानव ने उड़ाया उसे
उस उड़ान को किस जोश से लेती हैं
उनके ख्यालों को पेश करती है
असल में पतंग को देखकर उड़ाने वाला अपने मन की स्थिति को देखता है
और पतंग रुपी उड़ान को मन रुपी उड़ान के साथ पेश करता है –
पतंग कहती है-
मैं हूं पतंग, गुम बहुत हो जाता हूं
उड़ते उड़ते इन बादलों की गहराई में खो जाता हूं!
बहुत मजा आता है
जब जमीन से आसमान में आते
हजारों चीजों को पीछे में छोड़ आता हूं!
उड़ते उड़ते अपनी मस्ती में खो जाता हूं
कुछ खबर नहीं होती मुझ-को
चाँद तारों से बातें करता हूं!
मैं हूं पतंग उड़ते उड़ते इन वादियों में खोया जाता हूं
अचानक डोर कितने लगती है हवा के झोंके से फड़फड़ाने लगता हूं!
पेड़ो में, पत्तों में, मकान की दीवारों में, तारों में अटकने में लगता हूं
आज़ाद था जो मस्ती में
अब खुद को उलझता सा में समझता हूं
दुखों में गिर जाने के बाद, ए ख़ुदा
अब तुझ को मैं याद करता हूं
तभी उड़ाने वाला मानव कहता है –
यही जीवन हमारा भी है पतंग
हमारा नाता भी उससे है उतना
जितना है तुम्हारा उसके संग!
जीते हैं हम मस्ती में
रहते हैं हम हमेशा मैं की हस्ती में हरदम
कभी भी ना एक पल उसको सोचे
ऐसे दबें है खुशियों के भार तले हम
जब आती गम की घड़ी
तो स्वास स्वास में उसका नाम चले हरदम
पता नहीं क्यों नहीं समझते हैं
ऐसे ही व्यर्थ करते हैं सारा जीवन हम
काश नेक मेहनती बनकर
कर दे अपना जीवन सफल अब की बार हम!