¿Alguien me puede dar un poema hindi sobre comida chatarra?

Ok, si no te importa, me gustaría compartir mi propio poema
He escrito sobre comida pero nunca sobre comida chatarra, pero puedo cambiar y agregarle algunas palabras más
espero que te guste 🙂

खाने की शौक़ीन हूँ, ज़बान से चटोरी
कभी नीयत ना भरे, खाकर एक कटोरी

घर का खाना कभी ना भाये, ना मुझसे खाया जाये
पिज़्ज़ा, बर्गर रोज़ मैं चाहू, चाहे फिर बिगड़े सेहत, सेहत की किसको पड़ी हैं
ज़बान ही चटोरी बड़ी हैं

चॉक्लेट आइसक्रीम फ्रेंच फ्राइज
हैं मेरे हर काम का प्राइज
खा खा कर ये सब अब
बढ़ गया मेरा साइज़

एक बात हैं जरुरी, जो बताना मैं चाहू
जिनको भी पिज़्ज़ा, चिप्स
कोका कोला, फ्रेंच फ्राइज रोज़ चाहिए
एक बात जान ले
ये सब खाकर बीमारिया, मोटापा
मुफ़्त में पाइए

सारी खूबसूरती मोटापे में उड़ गयी
और बीमारिया मुझसे जुड़ गयी
अब सब्जियों के मुह ताकू
जिमो, योगा के अब रस्ते झाकू

पहले ही अच्छा खाते, थोड़ा कसरत कर जाते
तो ये दिन तो ना देखना पड़ता
दूसरो को देख ये दिल तो न सड़ता

अब पछताके क्या फायदा
जब पहले ना माना कोई कायदा
अब बस ये गुज़ारिश हैं सबसे

अपनी सेहत ना बिगाड़े, खाकर ये जंक
वरना लड़ने पड़ जायेगी
आपको ज़िन्दगी की जंग

Escrito por Richa Sharma k